Tuesday, September 11, 2012

परिचय


मैं रागहीन पर करुणामय हूँ, 
बाहर से कठोर,अंदर से कोमल!


आग की तरह गरम हूँ तो,
राख की तरह शीतल भी!

सुबह की धुंध की तरह नम हूँ तो,
दोपहर के तपते सूरज की तपिश भी!

धरती पर फैली हुई हरियाली हूँ तो,
रेगिस्तान की बंजर भूमि भी हूँ मैं!

झील के पानी का ठहराव हूँ मैं तो,
नदी के जल का बहाव भी हूँ मैं!

नीले आकास की तरह विस्तृत हूँ तो,
कृष्ण पक्ष में बिजली की चमक की मात्र रेखा!

कली और फूल के बीच का अंतराल हूँ तो,
धरती और आकाश के बीच का शून्य भी!

योद्धा का भयानक और शानदार हथियार हूँ तो,
कवि के कलम की मधुर कल्पना भी मैं ही हूँ!


                                   Copyright© reserved by
Poetess Asha Prasad "ReNu"                                                             

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