Friday, December 28, 2012

मैं टूट गई ... Damini

ओ सियासतदानों कहाँ थे उस समय 
जब मैं इंसाफ के लिए 
जिन्दगी और मौत से जूझ रही थी 
मुझे पता था ..
वहशी दरिंदों ने जो मेरी हालत की थी
ज्यादा दिनों तक मेरा शरीर 
मेरा साथ नहीं देने वाला !
फिर भी मैं मौत से लड़ती रही 
इस उम्मीद में कि जीते-जी मुझे 
इन्साफ मिल जाय और मैं चैन से मर सकूँ !
लेकिन तुम लोगों ने मुझे मुद्दा बनाकर 
अपनी-अपनी रोटी सेंकनी शुरू कर दी !
मैं टूट गई ...
इंसाफ कि उम्मीद ख़त्म हो गई 
शरीर ने साथ देना बंद कर दिया 
आखिर कब तक....
दरिंदगी का शिकार यह शरीर 
इंसाफ कि उम्मीद में मेरा साथ निभाता ...:(((((((


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मैं जिन्दा हूँ ! ...Damini

मेरी मौत पर सियासत करने वालों 

अब घड़ियाली आँसू बहाना बंद करो 

मैं जिन्दा हूँ ! 

हर उस इंसान में... 

जो मेरी सलामती की दुआ कर रहे थे ! 

मैं जिन्दा हूँ ! 

हर उस इंसान में ... 

जो मेरे गुनहगारों को को सजा दिलाने के लिए 

ना ही पुलिस के डंडे की परवाह की 

ना ही इस ठंढ में पानी के बौछारों की ! 

मैं जिन्दा हूँ ! 

मेरे लिए आँसू बहाने वाले के दिलों में 

जिनके आँसू को छिपाने के लिए 

पुलिस ने आँसू गैस छोड़े ! "ReNu"


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Wednesday, December 26, 2012

नारी

अबला बेचारी कहलाते रहे 
हम इतिहास के अध्याय में !! 
मूक हो अपमान सहते रहे
हम सदियों से इस देश में !!

उपेक्षित रहे, शोषित रहे 

सहिष्णुता बना अभिशाप है !!
अपनी इस कायरता पर 
आत्मा धिक्कार रही आज है !! 

आत्मा को लहूलुहान करते रहे 

हिंस्र पशु बन कर बड़े गर्व से !!
पिघला नहीं पैशाचिक हृदय 
हमारी मार्मिक चीख-पुकार से !!


दबा हुआ आक्रोश जिस दिन 
बन कर ज्वालामुखी फूटेंगी !! 
संयम छोड़, निर्भीक हो नारी 
पाशविक नर का संहार करेंगी !! "ReNu"

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Wednesday, December 19, 2012


बाह्य आडम्बर देखा केवल 

मर्म न दिल की है पहचानी !

मेरी हर मुस्कान के पीछे 

छुपी हुई एक करुण कहानी !!

 

You see only the external pomp

The secret of hearts did not recognize!

Behind my every smile

Hidden a tragic story! "ReNu"

 

Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"

 

  


You had rise in the black sky
As a gentle, celestial star!
I could not recognize you!
I am unaware, foolish, ignorant!

You then partner with laughter
Heaven - nectar showered from sky!
Empty, dry heart - cup
Unabridged full of love - nectar! "ReNu"
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उदित थे तुम श्याम गगन में  

सौम्य, दिव्य तारा बनकर !
पर तुमको पहचान सकी न 
मैं अनभिज्ञ, मूढ़, अज्ञानी !!

हँसकर के साथी फिर तुमने

बरसाया स्वर्ग-सुधा अंबर से !
रिक्त, शुष्क हृदय का प्याला
भरा लबालब प्रेम सुधा से !! "ReNu"
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Sunday, December 9, 2012

अभिलाषाओं ने ली करवट



अभिलाषाओं ने ली करवट 
सुप्त आशाएं फिर जाग उठीं
पेड़ों की ठूंठ टहनियों पर 
फिर नव कोपलें फूट पड़ीं !!

विरक्ति, वेदना, अनिद्रा का
निर्जन ह्रदय में बना था घर
पतझड़ थी सूखी बगिया में 
व्यर्थ प्रतीक्षा में अब तक !! "ReNu"


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